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Saturday, August 28, 2010

" रफ़ीकों " आओ तराशा जाए

ॐ the existence on stage ...............
रंगभूमि पर अपना अस्तित्व स्थापित करता हमारा नाट्य-रंग समूह एक ठोस विचार के साथ अग्रसर हो रहा है !!!
हमारा लक्ष्य अपनी कला को नए आयाम प्रदान करना है.
देश में धूमिल होती जा रही रंगकर्म सभ्यता को फिर से एक नया मुकाम दे कर उसे कायम रखना भी हमारा ध्येय है.
ॐ का नामकरण करते वक़्त हमे एक अनुपम अनुभूति का आभास हुआ .......एक ऐसा एहसास जो हमे रंगमंच पर अपने अस्तित्व को तलाशने "औ " तराशने
का स्वर्णिम अवसर दे रहा है !!!तो मेर दिल का अभिन्न हिस्सा "ॐ "से जुड़े मेरे
" रफ़ीकों " आओ तराशा जाए ...


शिरिन आनंद दुबे
kuch arse pehle humne shuruaat ki thi,
aaj aum kar kar humne anant bana diya hai.
Hum kuch rangkarmi rangmanch par natyakala ko ek nayii unchai dene ki koshish kar rahe hain, jo ki aaj kal vilupt hoti ja rahi hai .
Hum isi natyakala ko ek naye aur manoranjak tareke se pesh karne ki koshish karte hain,

aasha karte hain ki hum aum aapka manoranjan karne main safal rahengee...


Gaurav Sharma
(aum)




ओम विशालकाय,तिनका भी ओम....
ओम निर्लज्ज, लज्जा भी ओम ,
गूँज रहा है सारा व्योम ,
ओम फलक, वसुधा भी ओम ,
विचारों की उत्पत्ति ओम,
साधकों की शक्ति ओम,
गूँज रहा है सारा व्योम ,
रंगप्रेमियों की भक्ति ओम !!!


शिरिन आनंद दुबे